आज *प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शिव वरदानी धाम हरायपुरा शाजापुर (मध्य प्रदेश) में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ गीता जयंती का पावन त्यौहार ब्रह्माकुमारीज के धार्मिक प्रभाग के अंतर्गत एवं आजादी के अमृत महोत्सव में मनाया गया.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मंचासीन है
न्यायाधीश बहन स्वाति चौहान जी (जिला एवं सत्र न्यायालय ) ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी सेवा केंद्र प्रभारी, स्वामी श्री 1008 उदयभान जी महाराज (लक्ष्मणानन्द अखंड आश्रम), एवं नित्यानंद आश्रम के कोषाध्यक्ष व ट्रस्टी भ्राता सुरेश व्यास जी, विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष भ्राता शिवाजी सोनी, ब्रह्माकुमारी चंदा बहन जी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अंबावतिया साहब, व मंच संचालन करते ब्रह्माकुमार दीपक भाई.
उक्त कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया.
कार्यक्रम में स्वामी उदय भान जी ने गीता जयंती के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जब अर्जुन को मोह उत्पन्न होने लगा तब भगवान ने गीता का ज्ञान दिया.
उन्होंने कहा कि आत्मा सीता है और राम आते हैं उसे रावण की बुराइयों से मुक्त कराने.
जब धर्म की अति ग्लानि होती है मनुष्य में विकार आने लगे तब भगवान आते हैं और विकारों से मुक्त करवाते हैं.
ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी ने गीता जयंती के शुभ बधाई देते हुए कहा की गीता सर्व शास्त्र में शिरोमणि है गीता के सर्वाधिक भाषांतर पर भी हुए हैं और कई लेखकों ने अपनी टिप्पणियां उन पर की है.
केवल गीता में ही भगवानुवाच कहा गया है जब जब धर्म ग्लानी होती है तो गीता का भगवान पतित मनुष्य को पावन देवी देवता बनाते हैं मनुष्य के पतित बनने का एकमात्र कारण काम विकार है.
केवल भगवत गीता में ही काम विकार को महाशत्रु बताया गया है यही विकार चरित्र हीनता का बीज रूप है इसी से रक्षा करने के लिए द्रोपती ने गीता में भगवान को पुकारा था.
आज पुनः वही काम विकार चारों तरफ फैल चुका है मां बहन बेटियां सभी भयभीत है नित्य प्रति दर्दनाक घटनाएं हो रही है.
भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के मुख द्वारा अपने दिव्य अवतरण की विधि बताते हुए अध्याय 4 श्लोक 6 और 9 में कहा है कि मैं प्रकृति को अधीन करके दिव्य और अलौकिक रीति से प्रकट होता हूं मेरा जन्म मनुष्य की तरह बच्चे के रूप में नहीं होता.
मैं व्यक्त नहीं अव्यक्त हूं. तो अब
विचार करने की बात है कि श्री कृष्ण का तो जन्म भी दिखाया गया है.
और भगवान श्रीकृष्ण तो शरीर धारी व्यक्त है तो फिर यह अव्यक्त शक्ति कौन है जो श्री कृष्ण के मुख द्वारा यह कहती है कि मैं अव्यक्त हूं ना मेरा जन्म होता है ना मैं मरता हूं.
यह बहुत ही गुह्य और विचारणीय बातें हैं जिन पर गहराई से अध्ययन होना चाहिए कि वास्तव में वह अव्यक्त और निराकार शक्ति कौन सी है जिसने गीता का ज्ञान दिया क्योंकि निराकार शक्ति को ही सर्व धर्मों में माना गया है मुस्लिम भाइयों ने उसे अल्लाह नूर कहा, क्रिश्चन धर्म में गॉड इज लाइट कहा और गुरुनानक जी ने एक ओंकार निराकार कहकर याद किया है.
अब इन तथ्यों से देखा जाए तो निराकार और अजन्मा तो एक परमात्मा शिव ही हो सकता है.
और वही गीता ज्ञान के दाता है. इसीलिए उन्हें शिव शंभू भी कहा जाता है क्योंकि वही इस धरती पर आते हैं.
उक्त कार्यक्रम में नित्यानंद आश्रम के कोषाध्यक्ष भ्राता सुरेश व्यास जी ने भी गीता जयंती की नित्यानंद आश्रम की ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी.
वैज्ञानिक डॉ अंबावतीया साहब ने भी सभी को गीता जयंती के पावन त्यौहार की बधाई देते हुए कहा की इस सृष्टि के अंत में हर कल्प में आज के ही दिन परमात्मा शिव कलयुग की घोर अंधकार अज्ञान की रात में गीता का ज्ञान मनुष्य आत्मा रूपी अर्जुन को सुना रहे हैं क्योंकि कहते हैं जिस ने ज्ञान का अर्जन किया वही सच्चा अर्जुन कहलाया सिर्फ कथाओं को सुनकर छोड़ देना ही ज्ञान नहीं है बल्कि उन तथ्यों को समझ कर उन रहस्य को जानना भी आवश्यक है यही ज्ञान कहलाता है और यही सच्चा गीता का ज्ञान है.
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी चंदा बहन जी ने आए हुए सभी अतिथियों एवं गणमान्य नागरिकों, भाई बहनों का आभार व्यक्त किया.
उन्होंने भी गीता जयंती के पावन त्यौहार की बधाई देते हुए कहा कि गीता में वर्णित यह वही घोर कलयुग का समय चल रहा है जब चारों और काम विकार और भ्रष्टाचार और क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या आदि विकार मनुष्यो को अपनी बुराइयों में जकड़ा हुआ है. ऐसे समय पर ही परमात्मा स्वयंभू इस भारत भूमि पर आकर सच्चा गीता का ज्ञान ब्रह्मा मुख द्वारा सुना रहे हैं.
उक्त कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष भ्राता शिवाजी सोनी ने भी सभी भाई बहनों एवं शहर वासियों को विश्व हिंदू परिषद एवं मालवा कला मंडल की ओर से शुभ बधाइयां दी..
और आगे उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज द्वारा बनाई गई यह गीता जयंती अध्यात्म की ओर चरित्र निर्माण के लिए मनुष्य को सहयोग प्रदान कर नई दिशा देगी.